दहलीज हूँ... दरवाजा हूँ... दीवार नहीं हूँ।
खरीद लाये थे कुछ सवालों का जवाब ढूढ़ने।
मैंने माना कि नुकसान देह है ये सिगरेट...
जो सूख जाये दरिया तो फिर प्यास भी न रहे,
अगर मोहब्बत से पेश आते तो न जाने क्या होता।
न जाने उससे मिलने का इरादा कैसा लगता है,
क़यामत देखनी हो अगर चले जाना किसी महफ़िल में,
जो मेरा हो नहीं पाया, वो तेरा हो नहीं सकता।
सौदा करते हैं लोग shayari in hindi यहाँ एहसासों के बदले,
वो किताबें भी जवाब माँगती हैं जिन्हें हम,
मुझे छोड़ने का फैसला तो वो हर रोज करता है,
रास्ते पर तो खड़ा हूँ पर चलना भूल गया हूँ।
कि पता पूछ रहा हूँ मेरे सपने कहाँ मिलेंगे?
मगर उसका बस नहीं चलता मेरी वफ़ा के सामने।